- हिंदी समाचार
- जीवन मंत्र
- धर्म
- Aaj Ka Jeevan Mantra By Pandit Vijayshankar Mehta, दयानंद सरस्वती की कहानी, प्रेरक प्रसंग, हमें पूजा में इन टिप्स को याद रखना चाहिए
विज्ञापन से परेशान है? बिना विज्ञापन खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप
4 घंटे पहलेलेखक: पं। विजयशंकर मेहता
- कॉपी लिस्ट
कहानी – आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती को लाहौर में वैदिक धर्म की एक सभा में प्रवचन देने के लिए बुलाया गया था। वैसे तो वे समय के पाबंद थे, लेकिन एक दिन उन्हें आने में थोड़ी देर हो गई।
सत्संग समारोह में जो लोग आए थे, वे इंतजार कर रहे थे। प्रतीक्षा करते-करते लोगों ने प्रार्थना शुरू कर दी। सभी ने अपनी आंखें बंद कर लीं और ध्यान करने लगे। कुछ देर बाद सभा में दयानंद सरस्वती का प्रवेश हुआ।
स्वामीजी के आते ही प्रवचन स्थल पर हाल मच गया। इस हलचल की वजह से लोगों का ध्यान टूट गया, सभी ने एक-दूसरे को देखा। इसके बाद स्वामीजी को देखकर सभी लोग खड़े हो गए।
मंच पर पहुंचकर दयानंद सरस्वती ने बोलना शुरू किया, ‘मेरे आने से पहले आप सभी लोग प्रार्थना कर रहे थे, परमशक्ति से चर्चा कर रहे थे। जब मैं आया तो आप सभी लोग आंखें खोलकर तुरंत खड़े हो गए। ध्यान रखें, जब हम प्रभु की भक्ति कर रहे हों तो चाहे कोई भी आ जाए, हमें पूजा के बीच नहीं छोड़नी चाहिए। मैं आपके लिए आदरणीय हूं, लेकिन उस परमात्मा से बड़ा नहीं हूं। मेरा अभिनंदन करें, लेकिन अपनी उपासना को खंडित न करें। भविष्य में जब भी पूजा-पाठ करें तो पहले अपनी आराधना पूरी करें, इसके बाद किसी का स्वागत करें। ‘
सीखें – आज ज्यादातर लोग पूरी एकाग्रता के बिना ही भक्ति करते हैं। पूजा करते समय आधा ध्यान घर-परिवार और अन्य चीजों में लगाया जाता है। जब तक पूजा खत्म न हो जाए, हमें संसार की अन्य गतिविधियों की ओर ध्यान नहीं देना चाहिए। एकाग्रता के बिना की गई पूजा से मन को शांति नहीं मिलती है।