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- 2017 में, दल्लनपुर, जो कि जलती हुई जगह थी, किसान आंदोलन में दिग्विजय किसानों की महापंचायत की शुरुआत करेंगे।
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रतलाम23 मिनट पहले
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2017 के किसान आंदोलन के जख्म एक बार फिर कुरेदने की तैयारी हो चुकी है। पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह मध्यप्रदेश में किसान महापंचायत करेंगे। पहली पंचायत 4 मार्च को रतलाम के गांव डेलनपुर में होगी। यह वही गांव है जहां किसान आंदोलन के दौरान 4 जून 2017 को हिंसा की शुरुआत हुई थी। डेलनपुर से निकली चिनगारी ने ऐसे आग के गोले का रूप लिया जिसमें, मंदसौर में 6 किसानों की मौत हो गई, प्रदेश में सैकड़ों वाहन जल गए। विशेष बात तो यह है कि अभी तक स्थानीय नेता इस आयोजन को गैर-राजनीतिक बता रहे हैं। जबकि, मध्यप्रदेश कांग्रेस ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट से इस पंचायत की घोषणा की है। रतलाम के डेलनपुर में जिलेभर के किसानों को इकट्ठा किया जाएगा। यहां दिल्ली के किसान आंदोलन से दो नेता भी आने वाले हैं, हालांकि, यह कौन होगा यह एक-दो दिन बाद तय होगा। इधर महापंचायत में कृषि कानून को लेकर दिग्विजयसिंह किसानों से बात करेंगे। महापंचायत में अलग से मंच नहीं बनाया जाएगा, ट्रैक्टर टरैलियों को ही मंच जैसा बनाएंगे।
महापंचायत के गैर राजनीतिक होने की बात कही जा रही है पर मध्यप्रदेश कांग्रेस के सोशल मीडिया अकाउंट पर खुद को डाला गया है।]कांग्रेस का जिक्र नहीं है।
04 जून 2017: रतलाम जिले के डेलनपुर से निकली चिनगारी … से सुलग उठा था
4 जून 2017 को किसान आंदोलन के दौरान रतलाम के डेलनपुर में किसान उग्र हो गए। भीड़ में से एक पत्थर मारा, जो एएसआई पवन यादव की आंखों पर रख दिया। इसके बाद यह आंदोलन ऐसा उग्र हुआ कि 6 जून को मंदसौर जिले में गोलीकांड में 5 किसानों की मौत हो गई, जबकि 1 किसान की पुलिस की पिटाई के बाद मौत हो गई। इसकी विकलांगता अन्य जिलों में भी दिखी। 275 से अधिक निजी और सरकारी वाहन फर की आग में फूंक दिए गए थे।
किसान आंदोलन में आंख पर लगा पत्थर था, नहीं लौटी रोशनी, बोले- मेरी जिंदगी खराब हो गई
4 जून 2017 को डेलनपुर हिंसा में भीड़ के पथराव के दौरान आईए थाने के एएसआई पवन यादव (60) की बायीं आंख पर पत्थर डाला। उन्हें मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने स्टेट प्लेन से इलाज के लिए चेन्नई भेजा था। अभी भी इलाज जारी है लेकिन आंख की रोशनी नहीं लौटी, अब रोशनी लौटने के आसार भी नहीं हैं। पवन यादव ने चर्चा में बताया कि घटना के बाद मेरी जिंदगी खराब हो गई। 2018 में नौकरी छोड़ दी, इलाज अब भी जारी है। अंतिम दृश्य उस आंदोलन का ही देखा था।