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- ऑटो बिक्री विश्लेषण, विंकेश गुलाटी कहते हैं, 88 से 9% तक की बिक्री घटती है, उद्योग को इससे पहले उठने में कुछ समय लगेगा
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नई दिल्ली12 मिनट पहले
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1 मार्च को ऑटो कंपनियों ने पिछले महीने के बिक्री के आंकड़े जारी किए। सभी कंपनियों के सेल्स फिगर में पॉजिटिव ग्रोथ देखने को मिलेगी। मारुति ने कहा कि उसमें फरवरी में 1.64 लाख से ज्यादा कारें बेचीं, तो एमजी मोटर्स ने 215% की ग्रोथ दर्ज की। वित्त वर्ष 2020-21 खत्म होने के एक महीने बाकी है और ऐसे में यह ग्रोथ क्या संकेत देती है और आने वाले समय से क्या उम्मीद की जा सकती है, यह जानने के लिए हमने फाडा (संबंधित डीलर्स एसोसिएशन के अधिवेशन) के प्रेसिडेंट विंकल गुलाटी से बात की
पहला सवाल: ओवरऑल बिक्री के आंकड़ों से क्या समझा जा सकता है?
इससे आम आदमी को यह समझना चाहिए कि ओवरऑल सिचुएशन पहले से बेहतर होती रही है। आंकड़ों को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि गिरावट धीरे-धीरे कम होती जा रही है। साल की शुरुआत में उद्योग बीएस 4 से बीएस 6 में शिफ्ट हो रही थी। इस कारण जनवरी, फरवरी, मार्च में कंपनियों को अपना प्रोडक्शन कम कर दिया गया था। उसके बाद महामारी का दौर शुरू हो गया, जिसके कारण एक-दो महीने बाजार पूरी तरह से बंद रहा। जब खुली तो कंपनियों को पहले जैसी चीजें नहीं मिलीं, इसलिए आप देख रहे हैं कि बिक्री के आंकड़े धीरे-धीरे बढ़ रहे हैं।

इसमें टी-व्हीलर, थ्री-व्हीलर, पैसेंजर और कमर्शियल सभी वाहनों के बिक्री के आंकड़े शामिल हैं।
दूसरा सवाल: पैसेंजर व्हीकल की बिक्री में इतना उतार-चढ़ाव क्यों है?
लॉकडाउन के कारण बिक्री एक दम ठप हो गई थी। उसके बाद मई से लेकर अग तक तक पैसेंजर व्हीकल सेगमेंट ग्रोथ में रही, क्योंकि इस दौरान हमने रिकवर करना शुरू किया था। जो भी चीज की दोबारा शुरुआत करने में समय लगता है। लेकिन आंकड़ों को देखकर समझा जा सकता है कि गिरावट की दर महीने-दर-महीना-कम होती जा रही है। अक्टूबर के बाद से स्थितियाँ थोड़ा संभलीं। नवंबर, दिसंबर में हमने बिक्री में सकारात्मक वृद्धि दर्ज की। उसके बाद सेमी-कंक्टर्स की कमी के कारण उद्योग प्रभावित हुआ। इसकी शुरुआत दिसंबर में ही शुरू हो गई थी लेकिन असर जनवरी में गिरावट के रूप में देखने को मिला। इसी तरह गाड़ियों पर लंबा वेटिंग पीरियड भी दिया जा रहा है। अगर सेमी-कंडक्टर की कमी नहीं होती है तो ग्राउंडोथ 10-15% ऊपर होता है। फरवरी में भी 20% की ग्रोथ देखने को मिलेगी।

तीसरा सवाल: महामारी के दौरान सबसे ज्यादा कौन-कौन से वर्ग में बास रहा है?
सबसे ज्यादा दो सेगमेंट चले गए हैं। पहली एंट्री लेवल कारों का सेगमेंट है। महामारी में हुई आर्थिक समस्याओं के कारण लोग छोटी कारों पर शिफ्ट हुए। दूसरी कॉम्पैक्ट कारों का सेगमेंट है। वेन्यू, सोनेट, नेक्सन जैसी कारों की तरफ लोग ज्यादा आकर्षित हुए। इसका दूसरा कारण है। एक तो गाड़ी बहुत छोटी और दूसरी सेफ्टी और कंफर्ट के हिसाब से ठीक है, साथ ही ग्राहक को अच्छा फील भी आता है।

चौथा सवाल: महामारी से अछूता क्यों हो रहा है छल से?
ट्रैक्टर एक ऐसा सेगमेंट था, जिसने लॉकडाउन देखा ही नहीं। पूरे समय ग्रामीण क्षेत्रों में कामकाज जारी था। माइग्रेंट वर्करों के गांव वापस आने से जिन भी किसानों के पास वर्करों की कमी थी, उन्हें काफी सहयोग मिला। लॉकडाउन के पहले से भी एग्री सेक्टर 6-8 महीने से अच्छा चल रहा है। लॉकडाउन के पहले भी फसलों की बिक्री अच्छी थी। लॉकडाउन के दौरान खाद्य की सेल बढ़ी है। उस समय सबका फोकस ट्रेलर पर था, क्योंकि यह उद्योग खुला हुआ था। इसी कारण फाइनेंस, सेल्स सभी का ध्यान इसे ओर जाने लगा और इसी का बेनिफिट ट्रेलर सेगमेंट को मिला। बीते साल हमारी सारी ग्रोथ दसवीं एग्रीकल्चर कनेक्टर से आई।

पांचवां सवाल: वित्त वर्ष खत्म होने तक क्या उम्मीद की जा सकती है?
पूरे वित्त वर्ष को अगर पिछले वित्त वर्ष से कंपेयर करेंगे तो गिरावट ही मिलेगी, क्योंकि दो महीने पूरी तरह से बंद थे। पैसेंजर व्हीकल में 20-25% की गिरावट रहेगी, जबकि ट्यू-व्हीलर में लगभग 30-33% की गिरावट रहेगी, क्योंकि पिछले साल हुई गिरावट को कवर करना मुश्किल है। लेकिन हमें लगता है कि अगले साल से हालात संभलना शुरू होंगे। 2018-19 ऑटो उद्योग के लिए अच्छा समय था, तो इस लेवल तक उद्योग को आने में 2023-24 तक का समय लग जाएगा। वर्तमान में बाजार बहुत अच्छा है तो नहीं लेकिन ग्रोथ कर रहा है। उद्योग को पुनः ग्लैमर में आने में लगभग 2 वर्ष का समय लगेगा।