दिलली हिंसा में 153 पूलीसकर्मी घायल हुए हैं, (फाइल फोटो)
दिलनाली पुलिस (दिल्ली पुलिस) की कट्टर में आए 6 दोषियों को पकड़ने के बाद हस्तक्षेप के आधार पर दिलनाली हिंसा (दिल्ली हिंसा) भड़काने में शामिल अन्य लोगों की भूमिका का भी पता लगाया जा सकेगा। फुटेज के आधार पर इन सभी तलाश की जा रही है।
- News18Hindi
- आखरी अपडेट:29 जनवरी, 2021, 7:50 AM IST
दिलनाली पुलिस के सूत्रों के मुताबिक हिंसा में शामिल 6 शॉर्टकट्स की फुटेज पुलिस के हाथ लग गई है। इन 6 अभिव्यक्तियों को पकड़ने के बाद हस्तक्षेप के आधार पर हिंसा भड़काने में शामिल अन्य लोगों की भूमिका का भी पता लगाया जा सकता है। फुटेज के आधार पर इन सभी तलाश की जा रही है। दरअसल पुलिस के पास जो तमाम सीसीटीवी फुटेज और वीडियो मौजूद हैं, उन्हीं की जांच के बाद इन 6 उपद्रवियों के बारे में पुलिस को पता चला है। अब इनकी खोज तेज कर दी गई है।
इसके अलावा गणतंत्र दिवस की परेड के दौरान पुलिस ने 10 फोटोग्राफर और 10 वीडियो कैमरा आउट से प्राइवेट मंगाए थे। गणतंत्र दिवस का कार्यक्रम खत्म होने के बाद इन सभी को दंगे के दौरान भी काम पर लगा दिया गया था। दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने इन सभी से भी दंगे के तमाम वीडियो और फोटो ले लिए गए हैं। ये फोटो और वीडियो के आधार पर उपद्रवियों की पहचान की जा रही है।यह भी पढ़ें: – गाजीपुर से किसानों को जबरन हटाना गलत है, दिलली पुलिस के नोटिस का जवाब होगा- संविदा किसान मोर्चा दिलवाली पुलिस आज जनता से भी मदद मांगी
दिल्ली पुलिस ने शॉर्टकटगिंस को पकड़ने के लिए जनता की भी मदद मांगी है। पुलिस ने जनता से अपील की है कि दंगो के दौरान जिन लोगों ने भी मोबाइल कैमरे से वीडियो बनाए थे वे पुलिस को दें। अब तक पुलिस को 200 से ज्यादा फुटेज मिल चुकी है। जांच के दौरान पुलिस को कुछ किसान नेताओ के वीडियो भी मिले हैं जो भड़काऊ भाषण दे रहे थे। उनके वीडियो की जांच की जा रही है। आंदोलन जब से शुरू हुआ है तब से लेकर 26 जनवरी तक जितने भी व्हाट्सएप ग्रुप बने हैं, उन सभी की भी जांच की जा रही है। क्योंकि जांच के दौरान सामने आया है कि कुछ व्हाट्सएप ग्रुप में किसान आंदोलन को भड़काने का काम किया गया।
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डंप डेटा की भी जांच कर रही है दिलली पुलिस
इसके साथ ही दिल्ली में जिन-जिन स्थानों पर हिंसा हुई उन सभी क्षेत्रों का डंप डेटा निकाला जा रहा है ताकि आरोपियों को पकड़ने में आसानी हो। डंप डेटा मोबाइल टावर से लिया जाता है, जिसमें हजारों की संख्या में होते हैं। कॉल डिटेल के आधार पर जिन नंबरो पर शक होता है उनकी जांच की जाती है।