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3 मिनट पहलेलेखक: मेलबर्न से अमित चौधरी
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मेलबर्न का श्रीवक्रतुंड विनयगर मंदिर भारत से बाहर पृथ्वी के दक्षिणी गोलार्द्ध का एकमात्र मंदिर है, जिस पर गढ़ पत्थर से तैयार किया गया है।
- लिट्टेक्ट से डरकर भागे तमिल हिंदुओं ने 20 करोड़ रुपये से दोबारा बनाया
- पिछले साल जून में काम पूरा होना था, अब खुला
मेलबर्न का श्रीवक्रतुंड विनयगर मंदिर भारत से बाहर पृथ्वी के दक्षिणी गोलार्द्ध का एकमात्र मंदिर है, जिस पर गढ़ पत्थर से तैयार किया गया है। भगवान गणेश के इस मंदिर को हाल ही में नए रूप देकर खोला गया है। इस मंदिर का डिजाइन विश्व धरोहर तंजावुर के बृहदीश्वर मंदिर से लिया गया है।
मंदिर कमेटी के अध्यक्ष बाला कांदिआ के मुताबिक, मंदिर का निर्माण पिछले साल जून में खत्म होना था, लेकिन कोरोनावायरस की वजह से यह टालता रहा। इसमें 20 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। गणेश मंदिर के अलावा यहां अन्य देवी-देवताओं के 11 मंदिर भी बनाए गए हैं।
मूर्ति खरीदने के पैसे नहीं थे, शंकराचार्य की दी ईंट से रखी गई नींव
श्री फोरतुंड विनयगर मंदिर के प्रबंध कमेटी के अध्यक्ष बाला कांडीआ बताते हैं कि 1988 में श्रीलंका में ग्रह युद्ध शुरू होते ही तमिल हिंदुओं को देश छोड़ना पड़ा था। इन द ऑस्ट्रेलिया मेलबर्न में कोई दक्षिण भारतीय मंदिर नहीं था, इसलिए लोगों ने मंदिर बनाने का संकल्प लिया। लेकिन इसके लिए पैसे किसी के पास नहीं थे। मंदिर के मौजूदा सचिव शान पिल्लै टीएम से मूर्ति लाए। इसके बाद चंदा जुटाना शुरू हुआ। 1990 में मेलबर्न के पूर्वी इलाके में भूस्खलन हुआ।
350 टन ग्रेटर डाल दिया
- 350 टन ग्रेटर के 1200 अलग-अलग पत्थर, एक के ऊपर एक जोड़कर 17 लेयर्स में लगे हुए हैं।
- सबसे छोटे पत्थर का वजन 250 किलो, सबसे भारी 6 टन है।
- तमिलनाडु में महाबलीपुरम के 100 शिल्पकारों ने ग्रेटर पत्थरों को तराशा, फिर ऑस्ट्रेलिया भेजा। डिजाइन में आईआईटी मद्रास के प्रोफेसर अरुण में और चेन्नई की उमा नरसिम्हन ने सहयोग दिया है।