भारत में 5 हजार करोड़ रुपये का निवेश करेगी IKEA
पीएम नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) ने पहली बार मन की बात (Man ki Baat) कार्यक्रम में खिलौना इंडस्ट्री पर बात की थी. इसी के बाद से खिलौना इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाओं पर चर्चा शुरु हो गई.
आपको बता दें नोएडा (Noida) में कंपनी का ऑफिस होगा. खास बात यह है कि इसी शहर में टॉय सिटी भी बसाई जा रही है. हाल ही में यहां कारोबारियों को प्लॉट का आवंटन किया गया है. एक मोटे अनुमान के मुताबिक, देश में 70 हज़ार करोड़ रुपये से खिलौनों का कारोबार होता है.
टॉय सिटी में लकड़ी से बने खिलौने खरीदेगी आइकियाटॉय फेयर में हिस्सा लेने आई स्वीडन की कंपनी आइकिया दुनिया की जानी-मानी कंपनियों में शुमार है. फेयर के दौरान कंपनी ने ऐलान किया है कि वो भारत की खिलौना इंडस्ट्री में 5 हज़ार करोड़ रुपये का निवेश करेगी. भारतीय खिलौना कारोबारियों से खरीदारी करने के लिए नोएडा में अपना दफ्तर बनाएगी. कंपनी का कहना है कि अभी तक वह रूई से बने खिलौनों की खरीदारी करती रही है. लेकिन अब कंपनी का फोकस लकड़ी से बने खिलौनों पर है.
टॉय सिटी में 112 कारोबारियों को मिले हैं प्लॉट
खुशखबरी की बात यह है कि बीते कुछ महीने पहले ही यमुना एक्सप्रेस डवलपमेंट अथॉरिटी ने टॉय सिटी में प्लॉट का आवंटन किया था. अथॉरिटी ने यहां खिलौनों का कारोबार करने के लिए 1000 वर्ग मीटर के 76, 1800 वर्ग मीटर के 7, 1952 वर्ग मीटर के 19, 3000 वर्ग मीटर के 3 और 4000 वर्ग मीटर के 3 प्लॉट का आवंटन खिलौना कारोबारियों को किया था.
आइकिया कंपनी के नोएडा में आ जाने के बाद अब खिलौना कारोबारियों को अपना माल बेचने के लिए कहीं दूर नहीं जाना पड़ेगा. आइकिया के 5 हज़ार करोड़ निवेश करने का फायदा इन 112 खिलौना कारोबारियों को मिलेगा. वहीं कंपनी अथॉरिटी से 850 करोड़ रुपये से ज़मीन की खरीद भी करेगी.
उदयपुर में बने लकड़ी के खिलौनों की रहती है डिमांड
पहले उदयपुर में बने लकड़ी के खिलौनों की डिमांड पूरे देश में रहती थी. उदयपुर लकड़ी के खिलौना का बहुत बड़ा केन्द्र हुआ करता था. यहां घर- घर में खिलौने बनाने की मशीनरी लगी हुई थी. इससे जुड़े लोग दिन-रात खिलौने बनाने के कार्य में जुटे रहते फिर भी मांग के अनुरुप सप्लाई करना मुश्किल रहता था. उदयपुर के खेरादीवाड़ा में हर घर में लकड़ी के खिलौने बनाये जाते थे.
करीब 600 लोग इस कारोबार से अपना गुजर बसर करते थे. बताया जाता है कि 1960 के दशक तक उदयपुर में लकड़ी के खिलौने बनाने के 170 कारखाने हुआ करते थे. यह खिलौने विदेशी मेहमानों का भी मन मोह लेते थे. लेकिन चीनी खिलौनों के बढ़ते प्रचलन के बाद उदयपुर के इस खिलौना कारोबार को चीन की नजर लग गई. धीरे धीरे यह कारोबार और कला इतिहास बनने लगी.